Home » Technology » सोलर रूफटॉप क्या है, इससे बिजली कैसे बनती है?

सोलर रूफटॉप क्या है, इससे बिजली कैसे बनती है?

Join WhatsApp Channel Join Now
Join Telegram Channel Join Now
Join YouTube Channel Join Now

Solar Rooftop: सोलर रूफटॉप आज  के समय में बहुत जरुरी हो गया है। क्योकि बिजली मांग हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। बिजली लगभग हर एक मशीनी कार्य के लिए जरुरी है। आज इस लेख में सोलर रूफटॉप क्या है, इससे बिजली कैसे बनेगी, सोलर रूफटॉप योजना, रूफटॉप सोलर योजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है। जिससे आपको सोलर रूफटॉप के बारे जानकर, लाभ प्राप्त कर सके।

सोलर रूफटॉप क्या है? (What is Solar Rooftop)

सोलर रूफटॉप (solar rooftop kya hai) का मतलब घर की छत पर सोलर पैनल लगाना होता है। आप घर की छत पर सोलर प्लेट लगाकर घर के लिए 24 घंटे बिजली की व्यवस्था कर सकते है। सूर्य की किरणे जब इन सोलर प्लेट पर पड़ती है जिससे बिजली बनती है। जिसे हम घर घर के विधुत उपकरणों में उपयोग कर सकते है। आने वाले समय में सभी लोग सोलर एनर्जी पर निर्भर रहेंगे। क्योकी पृथ्वी पर जीवाश्म ईंधन (कोयला, डीजल, पेट्रोल) लगभग खत्म होने की कगार पर आ चूका है। अभी कोयले की बिजली और बांधो के द्वारा जल ऊर्जा से बिजली उत्प्न्न की जाती है, जिसका हम उपयोग करते है।

सोलर प्लेट क्या होती है? 

फोटोवोल्टिक सेल से सोलर पैनल या सोलर प्लेट (Solar plate) बनी होती है। फोटो वोल्टेइक सेल को निश्चित समांतर क्रम में लगाया जाता है। फोटोवोल्टिक सेल, सिलिकॉन के बने होते है। सिलिकॉन का प्रतिक si होता है इसका परमाणु क्रमांक 14 है। ऑक्सीजन के बाद पृथ्वी पर सबसे ज्यादा सिलिकॉन तत्व पाया जाता है। 1824 में स्वीडन के रसायनशास्त्री जोंस जकब बज्रेलियस ने सिलिकॉन की खोज की थी।

फोटोवोल्टिक सेल से बिजली कैसे बनती है?

हम सभी जानते है की ऊर्जा को न ही उत्पन्न किया जा सकता है, और न ही नष्ट किया जा सकता है, बल्कि इसे हम सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर सकते हैं। सूर्य की किरणे जब सोलर प्लेट पर पड़ती है तो सूर्य की किरणों में उपस्थित फोटोन, फोटोवोल्टिक प्रभाव से डीसी करंट के लिए इलेक्ट्रॉन्स में बदल जाते है। डीसी करंट तार में प्रवाहित होकर इन्वर्टर तक पहुंच जाता है एवं एसी करंट में बदल जाता है। जिसे हम विद्युत यंत्रो में उपयोग कर सकते है।

सोलर पैनल का आविष्कार किसने किया

Who invented solar panel: सोलर पैनल का अविष्कार सर्वप्रथम 1881 में चार्ल्स फ्रिट्स ने किया था। जिसने दुनिया का पहला वाणिज्यिक सौर पैनल बनाया था। हालांकि इससे पहले भी 1839 में, एलेक्जेंडर-एडमंड बेकरेल ने प्रकाश एक्सपोजर से विद्युत चार्ज की क्षमता देखी थी। बेकरेल के अवलोकन को 1873 में विलोबी स्मिथ ने पाया कि यह चार्ज सेलेनियम के प्रकाश से टकराने के कारण हो सकता है। इसके बाद, विलियम ग्रिल्स एडम्स और रिचर्ड इवांस डे ने 1876 में ‘सेलेनियम पर प्रकाश की कार्रवाई’ प्रकाशित की। 

सौर रूफटॉप के प्रकार

इसके अंतर्गत घर की छत सौर ऊर्जा प्रणाली के बारे में जानेगे

ऑन-ग्रिड सोलर रूफटॉप प्रणाली

इस प्रणाली के अंतर्गत डीसी करंट को इन्वर्टर की मदद से एसी करंट (Alternating current) में बदला जाता है तथा उत्पन्न बिजली को ग्रिड में भेजा जाता है। इससे यह फायदा होता है की आवश्यकता से अधिक विद्युत उत्पन्न होने पर आप, विद्युत को बिजली बोर्ड में बेच सकते है। इससे पैसे की बचत होगी। 36, 60 और 72 सेल वाले सोलर पैनल का इस्तेमाल ग्रिड-कनेक्टेड सोलर रूफटॉप प्रणाली के लिए होता है।

ऑफ़-ग्रिड सोलर रूफटॉप प्रणाली

ऑफ़-ग्रिड सौर रूफटॉप प्रणाली में सौर पैनल के साथ इन्वर्टर तथा बैटरी लगी होती हैं। सोलर प्लेट की मदद से ये बैटरी दिन भर चार्ज होती हैं तथा इस बैटरी से रात में भी विद्युत् सम्बन्धी ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है। 12 या 24 सेल वाले सौर पैनल का इस्तेमाल ऑफ़-ग्रिड प्रणाली के लिए होता है।

सोलर रूफटॉप प्रणाली के मुख्य हिस्से 

  1. सोलर पैनल,
  2. इन्वर्टर,
  3. बाई-डायरेक्शनल मीटर और
  4. बैलेंस सिस्टम

सोलर पैनल

फोटोवोल्टिक मॉड्यूल, इलेक्ट्रिक पैनल या सोलर प्लेट को सोलर पेनल नाम से भी जाना जाता है। सोलर पैनल सिलिकॉन के सेल, शीशे, पॉलिमर और एल्युमिनियम से मिलकर बना होता हैं। अधिकतर सोलर पैनल आयताकार होते है। सोलर पैनल का आकार, रंग, प्रकार और रूप आदि ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के हो सकते हैं।

सोलर इन्वर्टर क्या होता है?

हम सीधे डीसी करंट (direct current) का इस्तेमाल नहीं कर सकते। बैटरी की मदद से सोलर इन्वर्टर को डीसी करंट मिलता है। सोलर इन्वर्टर की सहायता से डीसी करंट को एसी करंट में परिवर्तित किया जाता है, इस एसी करंट को घर में बिजली से चलने वाले यंत्रो में इस्तेमाल कर सकते है।

बैलेंस ऑफ़ सिस्टम क्या होता है?

सोलर रूफटॉप प्रणाली में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरण जैसे बिजली की तार, जंक्शन बॉक्स, मीटर, फ्यूज़, सर्किट ब्रेकर आदि सभी बैलेंस ऑफ़ सिस्टम कहलाते हैं।

नेट मीटरिंग क्या होता है? 

बिजली का बिल बढ़ती कीमतों बहुत ज़्यादा आता है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखकर नेट मीटरिंग की सुविधा दी गयी है। सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न करने पर आप अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेच सकते हैं। नेट मीटरिंग की मदद से बस एक बार पैसे लगाकर आप हमेशा के लिए बिजली बिल से छुटकारा पा सकते हैं।

रूफटॉप सोलर योजना | सोलर रूफटॉप सिस्टम | रूफटॉप सोलर | रूफटॉप सोलर सिस्टम

सोलर रूफटॉप योजना क्या है?

भारत सरकार के सहयोग से सोलर रूफटॉप योजना का क्रियान्वयन जा रहा है। देश के सभी राज्यों के विद्युत विभागों (डिस्कॉम) के सहयोग से योजना में सोलर यंत्र प्रदान किये जाते है। भारत सरकार द्वारा सोलर रूफटॉप योजना में 40 फीसदी अनुदान (सब्सिडी) दिया जाता है।

Solar Rooftop Calculator

सोलर रूफटॉप कलकुलेटर की मदद से आप कुल लागत और सब्सिडी का पता कर सकते है।

Apply for Solar Rooftop

भारत सरकार (GOVERNMENT OF INDIA) के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के पोर्टल solarrooftop.gov.in पर जा कर सोलर रूफटॉप योजना में ऑनलाइन आवेदन अपने राज्य के विधुत विभाग पोर्टल से कर सकते है।

नोटिफिकेशन 🔔 पाने के लिए ग्रुप जॉइन करे

व्हाट्सऐप ग्रुप जॉइन करे WhatsApp Channel | Group
टेलीग्राम ग्रुप जॉइन करेJoin Telegram Group
सोशल मिडिया ग्रुप जॉइन करेFacebook | YouTube
Future Tech HomeClick Here

Leave a Comment