ट्रांजिस्टर (Transistor) एक अर्धचालक युक्ति है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। यह एक छोटी सी युक्ति है जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और विद्युत शक्ति को स्विच या अम्प्लिफाई करने के लिए उपयोग की जाती है।
ट्रांजिस्टर का आविष्कार जॉन बार्दी ने 1947 में किया था। ट्रांजिस्टर के आविष्कार ने इलेक्ट्रॉनिक्स में एक क्रांति ला दी। ट्रांजिस्टर के बिना, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विकास संभव नहीं है।
ट्रांजिस्टर परिभाषा (transistor definition)
ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक युक्ति है जो तीन धातु संपर्कों से बनी होती है। इन संपर्कों को आधार (Base), उत्सर्जक (Emitter) और संग्राहक (Collector) कहा जाता है। ट्रांजिस्टर का आधार बहुत पतला होता है, जिससे उत्सर्जक और संग्राहक के बीच एक क्षेत्र बन जाता है। इस क्षेत्र को आधार क्षेत्र कहा जाता है।
ट्रांजिस्टर का सिद्धांत (principle of transistor)
ट्रांजिस्टर का सिद्धांत अर्धचालक पदार्थों के गुणों पर आधारित है। अर्धचालक पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जो चालक और कुचालक के बीच होते हैं। इन पदार्थों में कुछ इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं जो विद्युत प्रवाह के लिए जिम्मेदार होते हैं।
ट्रांजिस्टर में तीन धातु के टर्मिनल होते हैं: बेस, कलेक्टर और एमिटर। बेस एक छोटे से क्षेत्र को संदर्भित करता है जो कलेक्टर और एमिटर के बीच स्थित होता है।
जब बेस पर एक छोटा सा विद्युत प्रवाह लगाया जाता है, तो यह कलेक्टर और एमिटर के बीच एक बड़ा विद्युत प्रवाह उत्पन्न कर सकता है। इस प्रकार, ट्रांजिस्टर का उपयोग एक छोटे विद्युत प्रवाह को एक बड़े विद्युत प्रवाह में बदलने के लिए किया जा सकता है।
ट्रांजिस्टर के उपयोग (uses of transistor)
ट्रांजिस्टर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में कई तरह से किया जाता है। कुछ सामान्य उपयोगों में शामिल हैं:
- प्रवर्धक (amplifier): ट्रांजिस्टर का उपयोग सिग्नल को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रांजिस्टर का उपयोग रेडियो और टेलीविजन में ध्वनि और वीडियो सिग्नल को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- स्विच (switch): ट्रांजिस्टर का उपयोग इलेक्ट्रिक सर्किट को चालू या बंद करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रांजिस्टर का उपयोग कंप्यूटरों में लॉजिक गेट बनाने के लिए किया जाता है।
- वोल्टेज नियामक (voltage regulator): ट्रांजिस्टर का उपयोग वोल्टेज को स्थिर करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रांजिस्टर का उपयोग बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में वोल्टेज को स्थिर करने के लिए किया जाता है।
- सिग्नल माडुलेटर (signal modulator): ट्रांजिस्टर का उपयोग सिग्नल को मॉड्यूलेट करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रांजिस्टर का उपयोग रेडियो और टेलीविजन में सिग्नल को मॉड्यूलेट करने के लिए किया जाता है।
- आसिलेटर (oscillator): ट्रांजिस्टर का उपयोग एक आवृत्ति पर सिग्नल उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रांजिस्टर का उपयोग रेडियो और टेलीविजन में सिग्नल उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
ट्रांजिस्टर के प्रकार – ट्रांजिस्टर का चित्र (Types of Transistors – Diagram of Transistors)
ट्रांजिस्टर दो मुख्य प्रकारों में आते हैं:
- PNP ट्रांजिस्टर: PNP ट्रांजिस्टर में, बेस, कलेक्टर और एमिटर में क्रमशः धनात्मक, ऋणात्मक और धनात्मक चार्ज वाहकों की अधिकता होती है।
- NPN ट्रांजिस्टर: NPN ट्रांजिस्टर में, बेस, कलेक्टर और एमिटर में क्रमशः ऋणात्मक, धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज वाहकों की अधिकता होती है।
PNP ट्रांजिस्टर और NPN ट्रांजिस्टर के बीच का मुख्य अंतर यह है कि PNP ट्रांजिस्टर में, बेस पर एक छोटा सा धनात्मक विद्युत प्रवाह कलेक्टर और एमिटर के बीच एक बड़ा ऋणात्मक विद्युत प्रवाह उत्पन्न करता है। इसके विपरीत, NPN ट्रांजिस्टर में, बेस पर एक छोटा सा ऋणात्मक विद्युत प्रवाह कलेक्टर और एमिटर के बीच एक बड़ा धनात्मक विद्युत प्रवाह उत्पन्न करता है।
PNP और NPN ट्रांजिस्टर का वर्णन
PNP ट्रांजिस्टर
PNP ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक, आधार और संग्राहक तीन धातु संपर्क होते हैं। उत्सर्जक और संग्राहक पी प्रकार के होते हैं, जबकि आधार एन प्रकार का होता है।
PNP ट्रांजिस्टर की कार्यप्रणाली को समझने के लिए, हमें अर्धचालक पदार्थों के इलेक्ट्रॉनिक गुणों को समझना होगा। अर्धचालक पदार्थों में इलेक्ट्रॉन और होल दोनों होते हैं। इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक आवेश वाले होते हैं, जबकि होल धनात्मक आवेश वाले होते हैं।
PNP ट्रांजिस्टर में, उत्सर्जक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों की सांद्रता अधिक होती है, जबकि आधार क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों और होलों की सांद्रता समान होती है। संग्राहक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों की सांद्रता कम होती है।
जब आधार क्षेत्र में आधार धारा प्रवाहित होती है, तो यह आधार क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों और होलों की सांद्रता को बढ़ाती है। यह इलेक्ट्रॉनों और होलों के संयोजन को बढ़ावा देता है, जिससे संग्राहक क्षेत्र में संग्राहक धारा प्रवाहित होती है।
PNP ट्रांजिस्टर का प्रतीक
PNP ट्रांजिस्टर का प्रतीक निम्नानुसार है:
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| E |
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| B |
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| C |
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जहाँ:
- E = उत्सर्जक (Emitter)
- B = आधार (Base)
- C = संग्राहक (Collector)
PNP ट्रांजिस्टर का उपयोग
PNP ट्रांजिस्टर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:
- स्विच (Switch)
- वोल्टेज नियामक (Voltage Regulator)
- सिग्नल माडुलेटर (Signal Modulator)
NPN ट्रांजिस्टर
NPN ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक, आधार और संग्राहक तीन धातु संपर्क होते हैं। उत्सर्जक और संग्राहक एन प्रकार के होते हैं, जबकि आधार पी प्रकार का होता है।
NPN ट्रांजिस्टर की कार्यप्रणाली PNP ट्रांजिस्टर के समान है। अंतर केवल इतना है कि NPN ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक और संग्राहक एन प्रकार के होते हैं, जबकि आधार पी प्रकार का होता है।
NPN ट्रांजिस्टर का प्रतीक
NPN ट्रांजिस्टर का प्रतीक निम्नानुसार है:
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| E |
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| B |
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| C |
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जहाँ:
- E = उत्सर्जक (Emitter)
- B = आधार (Base)
- C = संग्राहक (Collector)
NPN ट्रांजिस्टर का उपयोग
NPN ट्रांजिस्टर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:
- प्रवर्धक (Amplifier)
- वोल्टेज नियामक (Voltage Regulator)
- सिग्नल माडुलेटर (Signal Modulator)
PNP और NPN ट्रांजिस्टर में अंतर
PNP और NPN ट्रांजिस्टर में निम्नलिखित अंतर हैं:
- PNP ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक और संग्राहक पी प्रकार के होते हैं, जबकि आधार एन प्रकार का होता है।
- NPN ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक और संग्राहक एन प्रकार के होते हैं, जबकि आधार पी प्रकार का होता है।
- PNP ट्रांजिस्टर में आधार धारा के कारण संग्राहक धारा बढ़ती है, जबकि NPN ट्रांजिस्टर में आधार धारा के कारण संग्राहक धारा घटती है।
PNP और NPN ट्रांजिस्टर के उदाहरण
PNP ट्रांजिस्टर के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- एलईडी ड्राइवर
- मोटर ड्राइवर
- स्विच
NPN ट्रांजिस्टर के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- ऑडियो एम्पलीफायर
- रेडियो रिसीवर
- माइक्रोप्रोसेसर
ट्रांजिस्टर में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं?
ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनों की संख्या ट्रांजिस्टर के आकार, अर्धचालक पदार्थ और निर्माण प्रक्रिया पर निर्भर करती है। हालांकि, एक सामान्य एनपीएन ट्रांजिस्टर में लगभग 10^15 से 10^18 इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह संख्या ट्रांजिस्टर के आधार क्षेत्र की मोटाई के समानुपाती होती है।
ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन मुख्य रूप से अर्धचालक पदार्थ के बाह्यतम आवरण में होते हैं। इस आवरण को संयोजी आवरण कहा जाता है। संयोजी आवरण में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं।
ट्रांजिस्टर के संचालन में इलेक्ट्रॉनों की चालकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब ट्रांजिस्टर में आधार क्षेत्र में आधार धारा प्रवाहित होती है, तो आधार क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों और होलों की सांद्रता बढ़ जाती है। यह इलेक्ट्रॉनों और होलों के संयोजन को बढ़ावा देता है, जिससे संग्राहक क्षेत्र में संग्राहक धारा प्रवाहित होती है।
इस प्रकार, ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनों की संख्या ट्रांजिस्टर के संचालन को प्रभावित करती है।